उत्तराखंड: सरकार पर किसका दबाव, चयनित आयुष चिकित्सा अधिकारियों को क्यों नहीं दी जा रही नियुक्ति?

देहरादून: उत्तराखंड का भी गजब हाल है। यह प्रदेश भर्ती घोटालों के लिए बदनाम तो रहा ही है। साथ ही भर्तियों के परिणाम जारी होने के बाद महिनों तक नियुक्तियां नहीं देने के लिए भी कई बार चर्चाओं में रहा है। कई भर्तियों के परिणाम तो हाई कोर्ट के आदेशों के बाद ही जारी हो पाए हैं।

इन दिनों चयनित आयुष चिकित्सा अधिकारियों का मामला खूब चर्चाओं में है। आयुष चिकित्सा अधिकारी पद पर चयन होने के 6 माह बाद भी चिकित्सा अधिकारियों को नियुक्ति नहीं मिल पाई है। आयुष चिकित्सा अधिकारी पदों के लिए विभाग की ओर से जो चयन प्रक्रिया तय की गई थी। सभी का चयन भी उसी के आधार पर किया गया था। कुछ ऐसा ही आयुष चिकित्सा अधिकारियों के मामले में देखने को मिल रहा है।

इस मामले में उन अभ्यर्थियों ने चयन सही ढंग से नहीं होने का आरोप लगाया था, जो लिखित परीक्षा में तो पास हुए, लेकिन साक्षात्कार और आरक्षण के नंबरों के चलते मेरिट लिस्ट में आने से यह गए थे। उनकी शिकायत के बाद शासन स्तर पर दो-दो बार मामले में जांच भी हो चुकी है। लेकिन, अब तक जांच रिपोर्ट ही सार्वजनिक नहीं की गई है।

चयनित आयुष चिकित्सा अधिकारियों का कहना है कि वह हर तरह की जांच के लिए तैयार हैं। फिर ऐसी क्या मुश्किल है कि उनको नियुक्ति नहीं दी जा रही है। चयनित युवाओं का कहना है कि उनकी नियुक्ति को लेकर बेवजह विवाद खड़ा कर लटकाया जा रहा है।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी तक भी अपनी बात पहुंचा चुके हैं। लेकिन, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी उनके मामले में खास रुचि नहीं ले रहे हैं। अब सवाल यह है कि आखिर ऐसा क्या है की आयुष चिकित्सा अधिकारियों के मामले को बार-बार ठंडे बस्ते में डाल दिया जा रहा है। बड़ा सवाल यह है कि जिस प्रदेश में भर्तियों की जांच घोटाले के कारण होती रही है। उस प्रदेश में चयनित आयुष चिकित्सा अधिकारी खुद ही कह रहे हैं कि अगर सरकार को कोई उच्च स्तर की जांच करनी हो तो वह भी करा सकती है। नियुक्ति में क्या अड़चनें हैं यह भी चयनित चिकित्सा अधिकारियों को नहीं बताया जा रहा है।

अपनी नियुक्ति की मांग को लेकर चयनित चिकित्सा अधिकारियों ने लोकतांत्रिक ढंग से शांतिपूर्ण आंदोलन शुरू किया है। चयनित 243 आयुष चिकित्सा अधिकारी पिछले 6 दिनों से आयुष निदेशालय में डेरा डाले हुए हैं। उनको उम्मीद है कि सरकार उनकी बात सुनेगी और उनको जल्द नियुक्ति दी जाएगी।

हालांकि वह यह सवाल भी उठाते हैं कि जब उनकी भर्ती में किसी तरह की कोई गड़बड़ी नहीं है तो फिर सरकार पर ऐसा क्या दबाव है कि उनकी नियुक्ति रोकी जा रही है? उनको पिछले 6 महीनों से सभी प्रक्रियाएं पूर्ण होने के बाद भी नियुक्ति नहीं दी जा रही है।