उत्तराखंड : “हमारी विरासत और हमारी विभूतियां”, नौनिहाल होंगे ‘समृद्ध’… पढ़ें क्यों है खास?

  • दिनेश रावत

एक नई पहल। एक नई पुस्तक। जिसके माध्यम से प्रदेश के नौनिहाल परिचित होंगे अपनी महान विरासत और विभूतियों से। जान पायेंगे अपने गौरवशाली इतिहास को। पहचान सकेंगे महत्वपूर्ण स्थलों को। परिचित होंगे अतीत की खट्टी-मीठी बातों-यादों से, पुरखों की शौर्य गाथाओं से। गीत-संगीत के अनहद नाद से लोक कथा-गाथाओं के संवाद से, बार-त्योहार पकवान से, परंपरागत परिधान से….! इन पुस्तकों से नौनिहाल ज्ञान से समृद्ध होंगे। वो अपने पुरखों को जान सकेंगे।

राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद उत्तराखंड के तत्वावधान में (18-22 दिसम्बर 2023) पांच दिनों तक अज़ीम प्रेमजी फाउंडेशन देहरादून के सभागार में इन्हीं विषयों पर खूब मंथन हुआ। साहित्य, संवाद एवं तकनीकी के माध्यम से प्रदेश के कोने-कोने तक पहुंचने का प्रयास किया गया।

ताकि शेष न रहे कुछ भी। समेटा जा सके वह सब जो धरोहर है हम सब की। जिसे पढ़कर जान-पहचान सकें हम और हमारे बच्चे खुद को। विकसित हो एक नई समझ। बालमन पर बीजारोपण हो मूल्यों का..आदि-आदि।

इसी उद्देश्य से कक्षा 6 से कक्षा 8 तक के लिए पाठ्यचर्या के अंतर्गत तैयार की जा “हमारी विरासत एवं हमारी विभूतियां ” सहायक पुस्तकें। लेखन संबंधी पहली कार्यशाला सम्पन्न हुई। शेष कार्य गतिमान है।

इस दौरान बराबर बना रहा मार्गदर्शन महानिदेशक महोदय, निदेशक, अकादमिक शोध एवं प्रशिक्षण, अपर निदेशक, संयुक्त निदेशक, महोदया/महोदय का। सहयोग-समन्वय-संचालन में जुटे रहे कार्यशाला के समन्वय सुनील भट्ट जी एवं  गोपाल घुघत्याल जी, विशेषज्ञ दल के सम्मानित सदस्य से भी जारी रहा सभी का संवाद। वह भी यथोचित परामर्श देते रहे।

40 प्रतिभागियों के साथ शानदार रहे यह पांच दिन। सौभाग्य कि मुझे भी सुलभ हुए अवसर सीखने-समझने के…। श्वास है शीघ्र ही नौनिहालों के हाथों में होगी इस सामूहिक परिश्रम की परिणति!